Poem in Hindi -Man
आदमी
सुख बिखेर देता है
यहीं कहीं
दुःख समेट लेता है
हृदय में
प्रेम का अहसास कम होता है
नफ़रत समेट लेता है
हृदय में
और जीता है
इसी क्षोभ में
शिकायत करते हुए
सारी उम्र !!
Poem in Hindi -Man
आदमी की आदत है
सुख की बातें समेट कर
बिखरने की
लोग चले आते हैं
सुख को लूटने
लेकिन बात हो दुःख की
दूर से देखने की आदत सी
सहानुभूति
अकेले होने की गवाही है
सांत्वना तक सीमित है
जैसे लोग चले जाते हैं
ढांढस बंधाकर
लेकिन दुःख बांटते नहीं है
साथ चलकर !!!
बचकर चलना एक समझदारी है
जैसे सड़क पार करते समय
सदा दाहिने हाथ चलना
आकस्मिक आंखों के सामने
कोई चीज आए तो
पलकों का झपकना
ठीक इसी तरह
लोग किसी और के दुःख में
समझदारी दिखाते हैं !!!
इन्हें भी पढ़ें 👉मन की शांति
0 टिप्पणियाँ