Kavita Aastha अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर केवल हिन्दुओं के विरुद्ध बोलने की आजादी मिली है । लोग पाखंड के नाम पर बहुत ज्ञान देते हैं । लेकिन गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं । उनके पाखंड कभी दिखाई नहीं देते हैं । उसने इस तरह से पाखंड की परिभाषा दी है । जिसके अर्थ एक हिंदू अपने आप तक लेकर सोचते हैं । बाकी पंथों पर उनकी दृष्टि नहीं जाती है । एक ही शब्दों के दो अर्थ निकाल लेते हैं और कहते हैं कि व्यवस्था हमारी है । मतलब दोगलेपन पर उससे बड़ा कोई नहीं है । पढ़िए इस पर कविता 👇👇
Kavita Aastha
मेरी आस्था पर चोट
या तुम्हारी नीयत में खोट
अपनी गलतियां ढूंढ नहीं पाई
दूसरों पर सदा उंगलियां उठाई
तुम्हारी प्रवृत्ति हो सकती है
और इस प्रवृत्ति से
तुम विद्वान बन सकते हो
कुछ धर्म निरपेक्ष लोगों के बीच में
तारीफ पा सकते हो
उन लोगों के बीच में
जो कभी अपने स्वार्थ से ऊपर
उठे नहीं है
दोगलेपन से झुके हैं
जिसने कभी
आदर्श प्रस्तुत नहीं कर पाए
अपने चरित्रों से
आजादी का मतलब जिसने
अयाश्स ही जाना है
जिसने कभी दूसरों का
सम्मान करना नहीं जाना है
जो केवल उत्तेजित करना जानते हैं
ताकि मेरी आस्था हार जाए
और थक जाऊं
ऐसे लोगों को कभी
ध्यान से देखना
उनके घर को
उनके चरित्र को
तुम खुद थक जाओगे
उस दिन
ऐसे दोगलों को समझ जाओगे !!
तुम महान बन सकते हो
पैसें कमा सकते हो
बस उंगलियां उठानी है
हिंन्दु धर्म पर
एजेंडा धारी समझ जाएंगे
ये गद्दार है
हिंदू धर्म का
इसे मिलाया जाय
हमारे एजेंडे के लिए ठीक है !!!
तुम तथाकथित बुद्धिजीवी बन सकते हो
हिन्दू धर्म पर यदि सवाल उठा सकते हो
प्रगतिशील विचारधारा की जरूरत है
भले ही दूसरे पंथों पर सवाल नहीं उठा सकते हो
इस बात पर तुम्हारा कलेजा, ज़िगर नहीं चाहिए
सोचते हैं हिंदू और सवाल उठा सकते हो
तुम बचना है सिर्फ गला काटने वालों से
बाकी हिंदू धर्म पर जितना सवाल उठा सकते हो
अभी तुम्हें और सफलता मिलेगी
हिंदू धर्म पर सवाल उठा सकते हो
अभिव्यक्ति की आजादी है
हिंदू धर्म पर सवाल उठा सकते हो
पंथ निरपेक्ष हो मैं मानता हूॅं
क्या तुम अन्य धर्मों पर सवाल उठा सकते हो !!
तुम लिखते हो जब कविता
बस इतना ध्यान रखना
घटना कोई भी हो
हिन्दू आस्था से जोड़े रखना
तुम्हें नफ़रत है हिन्दूओं से
हो क्षति हिन्दूओं का
इतना ज्ञान रखना
और जब तुम पढ़ोगे
किसी दुखद समाचार पर कविता
एजेंडा जोड़कर कोई लिखें कविता
तुम वाह,, वाह करके
ताली बजाते रहना !!!
आस्था ही थी
जो विश्वास दी
मगर जब से
आस्था टूटी हुई है
किसी पर विश्वास नहीं होता है !!!
इन्हें भी पढ़ें 👉👉 दोगलापन
0 टिप्पणियाँ