Ghazal Matlab Kavita
यहॉं रिश्ते वहीं टिकते हैं
जो मतलब में नहीं बिकते हैं
उसकी उम्मीद ही क्या है
जो बच के निकलते हैं
उसकी जुबान अक्सर फिसलती है
जो पैसों के खातिर बिकते हैं
उसके वायदे खोखला था
बिना सोचे-समझे निकलते थे !!!!
Ghazal Matlab Kavita
पैसों के खातिर
और मतलब के खातिर
जो दिमाग चलाते हैं
महाठग, शातिर
बचकर रहना
जान लेगा
पैसों के खातिर !!!!
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