खुद के चाहत समझा कभी Ghazal jivan Par Hindi

 

Ghazal jivan Par Hindi 


खुद में झॉंक के देखा कभी

खुद के चाहत समझा कभी

मंजिल क्या है अरमान क्या है

तेरा जीना क्या है जाना कभी

अपने सफ़र में वे ही भटकते हैं

खुद की खुशी नहीं पहचाना कभी

ये बहार आपके घर आएगी

स्वागत में दरवाजे तक जाना कभी !!!!

Ghazal jivan Par Hindi 

लोग अपना नजरिया जब

दूसरों के अनुसार बनाते हैं

अपना अस्तित्व भूल जाते हैं

अपना इरादा, अपनी चाहत

दूसरों को सौंप जाते हैं

ऐसे लोग कब बदल जाएगा

जैसे ऊंट कौन सा करवट बैठ जाएगा

कह नहीं सकते हैं

ऐसे लोग अपना अस्तित्व भूल जाते हैं !!!!

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