साहित्य Literature -Poetry Hindi

Literature -Poetry Hindi 

 साहित्य 

एक हिस्सा छोड़ देता है

हकीकत की

और अपने कल्पनाओं में घुमता है

खुद की रची सृष्टि में

जहॉं कल्पनाएं हैं

उसकी अनुभूति की

उसकी भावनाओं की

जहॉं से वो सारी दुनिया को

करूणा भरे निगाहों से देखता है

अपना समझ के

हृदय से

लेकिन बाह्य दुनिया

एक साहित्य को

दिमाग से देखता है

उसकी बातों को

तर्क करता है

जहॉं उसकी अनुभूति

पहुंच नहीं पाती हैं

क्योंकि वो अमूर्त को

मूर्त रूप में देखता है

लाभ/हानि के रूप में

जिसकी सिध्दी में

असफल है एक साहित्यकार

क्योंकि वो दिल से जुड़े हैं

जबकि दिमाग की दुनिया

अपने स्वार्थ से

जो अक्सर सवाल पैदा करते हैं !!!

Literature -Poetry Hindi

साहित्य कितना अकेला है 
जैसे रहता है कवि 
अकेले में 
नदी के पास 
पर्वतों को निहारते हुए 
रात को घूमते हुए 
नितान्त शांत 
अकेले 
कभी इसके साथ भीड़ नहीं आए 
जैसे आ जाती है 
राजनीति में 
उसके समर्थक 
उसके नेता 
सम्बोधित करके चले जाते हैं 
भीड़ को साथ लेकर 
क्यों ?
साहित्य ऐसा नहीं कर पाता !!!!

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