सभ्यता का प्रर्दशन

 सभ्यता का प्रर्दशन आजकल

बड़े ही आसानी से हो जाती है

चेहरे के भावों और शब्दों की सजावट में

हर कोई कर लेते हैं

जब भी मिलते हैं 

दो रिश्ते

कभी-कभी

बातों में अपनापन का भाव

लरकता है

बड़ी सहजता से

ताकि लगे

सामने वाले को

देखने वाले को

उनके व्यवहार की सभ्यता

पढ़ें लिखे होने का प्रमाण

सबको मिल जाए

बेशक ये क्षणिक है

या फिर बनावटी है

फिर भी

लोगों के मुंह पर

ताला है

जो सामने कभी

उसपर 

सवाल उठा नहीं सकते हैं



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