Ram on poem
" राम" को जानना कठिन है
ऐसे इंसानों के लिए
जो सहुलियत में जीते हैं
"राम" को समझना कठिन है
ऐसे इंसानों के लिए
जो व्यक्तिवादी है
जो खुद के लिए जीते हैं
"राम" की अनुभूति नहीं कर सकते
ऐसे इंसान
जिसने जीवन भर
झूठ की राह अपनाएं है
जो सुविधाएं छोड़ नहीं सकते हैं
अपनी लालच की
"राम" कोई अनुमान नहीं है
जिसमें गणित की संक्रियाएं
जोड़ घटाव किया जाए
"राम" अनुभूति है
उच्च आदर्श की मुर्ति है
जिसकी दृष्टि में समाया जाय
"राम" उसके समझ से परे है
जो केवल सवाल उठाना जानते हैं
जवाब देना नहीं
जिसके पास तर्को की लम्बी फेहरिस्त है
लेकिन अनुभूति की कमी है
और नहीं "राम" को
किसी व्याख्यान में
प्रस्तुत किया जा सकता है
अपने वचनों से
दुनिया के सामने
यदि "राम" को जानना है तो
राममय हो जाना है
अपने सम्पूर्ण जीवन को
तपाना है
कठोर धरातल पर
अपने वचनों से
अपने कर्मों से
समाजिक न्याय के लिए
छोड़ना होगा
खुद का स्वार्थ
तब कहीं जाकर
"राम" हो पाओगे
"राम" को जान पाओगे
फिर भी पूरी तरह नहीं
कुछ अंश ही पाओगे !!!
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