Aadmi ka nirman Kavita
आदमी का निर्माण हो जाता है
सोलह-सत्रह के बरस में
जीने के लिए
कुछ सिद्धान्त को
स्वीकार कर लेते हैं
अपने जीवन शैली के प्रति
जिसे नजरिए बनाकर जीते हैं
सारी उम्र
जिसमें बदलाव की
कोई गुंजाइश नहीं होती है
भले ही आपके सामने
आपके अनुकूल बातें करें
लेकिन अपने इरादे छुपा जाते हैं
दिल के किसी कोने में
सहेजकर
जितना हो सके
लोगों के सामने
जाहिर होने नहीं दिया जाता है
जब तक उसकी बुराई
अपने आसपास टकराएं ना
और सिद्धांतों को
किसी के द्वारा
चुनौती न दें
तब तक बदल नहीं पाते खुद को
एक द्वंद्व में गुजर कर
पुनः निर्माण करता है
अपने नजरिए को
अपने जीवन शैली के प्रति !!!
जो चाहत है
उस ओर दृष्टिकोण का निर्माण होता है
भले ही अभिनय में माहिर इंसान
व्यवहार में कुछ और होता है
उसकी कोशिश बताती है
उसकी चाहत कहां होती है
बदलने के लिए नहीं बदलेगा
मोहब्बत चोरी - चोरी होती है !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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2 टिप्पणियाँ
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
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