Humanity poem
पैसे कमाने के चक्कर में
दिमाग तो लगाया
मगर
दिल भूल गए
नाम तो कमाया पैसों से
Humanity poem
मगर
ईमान भूल गए
जिंदगी की तलाश में
दौड़े बहुत
मगर
अति व्यवस्तता में
जिंदगी भूल गए
पर्सनल लाइफ तो जाने
मगर
सामाजिक गुण भूल गए
पढ़-लिखकर
अधिकार तो जाने
मगर
कर्तव्य भूल गए
अच्छी बातें जानें बहुत
मगर
अपनाना भूल गए
होशियारी सीखें बहुत
मगर
समझदारी भूल गए
तेरी चाल-चलन
अजीब है इंसान
अपने स्वार्थ में
इंसानियत भूल गए !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
2 टिप्पणियाँ
वाह... बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयथार्थ लिखा है आपने 👌🌷
आभार
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