वो खुद से सरताज हो जाते हैं

वो खुद से सरताज हो जाते हैं
पढ़ें लिखे को नाज़ हो जाते हैं

गलती स्वीकारने की हिम्मत नहीं
वो दुश्मन आज हो जाते हैं

नंगापन में ही जिसकी सिद्धि है
जमाने के सरताज हो जाते हैं

हॉं वक्त गुजरते हैं धीरे-धीरे
आने वाला कल आज हो जाते हैं

उसे मनमाफिक बातें सुनने की आदत है
सच के लिए मोहताज हो जाते हैं

कई सच्चाई दफ्न है सबके सीने में
खुली न बातें तो सब राज़ हो जाते हैं

-राजकपूर राजपूत''राज''
वो खुद से सरताज हो जाते हैं


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ