तुष्टिकरण और आप Appeasement and You Article

Appeasement and You Article तुष्टिकरण अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का एक तरीका है । किसी के प्रति ,, या हो सकता है उसे खोना नहीं चाहते हैं,, जिसे हम चाहते हैं ।  जिसे खुश करने के लिए अपनाने जाने वाला एक तरीका है । किसी को ।  जिसे नाराज करने की हिम्मत नहीं होती है । जिससे दुश्मनी मोल लेने की हौसला नहीं होता है । मन के अंदर भय सदा बना रहता है । कहीं प्रेम नाराज न हो जाए । ऐसे प्रकटीकरण एक प्रकार से चापलूसी है । जिसमें अपने मन की बात कहने की हिम्मत नहीं होती है । जानते हुए भी विरोध का करने का फैसला नहीं कर सकते हैं ,, ऐसे लोग ।

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अक्सर जिसका प्रभाव होता है,,,उसका दबाव होता है । दिल और दिमाग में । डरते हैं लोग,, खुद से बड़ा मानते हैं ।उसका ख्याल जरुर हर कामों में रखते हैं । तुष्टिकरण करने वाले और तुष्ट होने वाले । तुष्टिकरण करने वाले तुष्ट होने वालो से ज्यादा कमजोर होते हैं । तुष्ट होने वाले अक्सर गलतियॉं करते हैं लेकिन तुष्टिकरण करने वाले अक्सर गलतियों पे पर्दा डालते हैं । किसी भी तरह से गलतियों को सही साबित करने की कोशिश करते हैं । 


ऐसे तुष्टिकरण परिवार से देश तक देखा जाता है । 

जहॉं एक से ज्यादा बेटा-बेटी होती है या फिर अन्य रिश्तों में । जो मन को प्रभावित कर चुके हैं । दिल को भा चुके हैं । इनकी गलतियों में भी पर्दा डालते हैं । कड़वी बोली भी बुरा नहीं लगते हैं । जबकि इसके विपरित जो भाते नहीं है । उसकी मीठी बातें भी कड़वी लगती है । कितने भी अच्छे कर्म कर लें । सुहाते ही नहीं हैं । 
तुष्टिकरण करने वाले लोग कभी सच बोल नहीं सकते हैं और न ही कभी सच देख सकते हैं । क्योंकि वे एक प्रकार के अंधे हैं । दीवाने हैं । जिसे अपनी दिल्लगी, और लालच की वजह से ऐसा करने के लिए प्रेरित होते हैं ।

अपने प्रेम के प्रदर्शन में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं । उसके लिए दिन को रात कहते हैं ।आम को इमली कहते हैं । 

जहॉं तुष्टिकरण की नीति है , वहॉं तीन व्यक्तियों का समूह है । पहला तुष्ट होने वाले,,दूसरा तुष्टिकरण करने वाले हैं तथा तीसरा तुष्टिकरण के कारण  उपेक्षित होने वाले ।  इन सभी में अंतर करने वाले व्यक्ति ही ज्यादा दोगले होते हैं । ठीक उस इंसान जैसे जो अपने खेतों को जोतते समय करते हैं । सीधे बैल को दो लाठी ज्यादा मारते हैं । बदमाश बैल की अपेक्षा । क्योंकि वो जानते हैं कि बदमाश बैल को मारूंगा तो हल आदि को तोड़ फोड़ कर देंगे । इसलिए उससे शराफ़त से पेश आते हैं । उसे पुचकारते हैं । दुलारते हैं । हालांकि सीधे बैल की तारीफ भी करते हैं । लेकिन एक प्रकार से उपेक्षित रूप में । भले ही सीधा बैल अपनी तारीफ से फूल जाए लेकिन उसकी मुर्खता है । गवारापन है ।  
तुष्टिकरण करने वाले चालाक भी होते हैं । जिसका शोषण करते हैं । उसे पता चलने नहीं देते हैं ।  ऐसे लोग सियासतदान होते हैं ।  जानबूझकर अपनी ओर खींचने का प्रयास करते हैं ताकि अपने हितों को साध सके और किसी को पता भी न चले । 
ऐसे सियासतदान को अपनी बात मनवानी है तो उसके भीतर भी डर पैदा होना चाहिए ।तुम्हारे प्रति । जैसे तुष्ट करने वाले लोग करके रखते हैं । 
---राजकपूर राजपूत''राज''

 
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