मेरे लिए तेरी एक नज़र बहुत है

प्यार की राह में दर्द बहुत है
मेरे लिए तेरी एक नज़र बहुत है

जीने के लिए और क्या चाहिए
छूट गया जमाना तेरा साथ बहुत है

तुम साथ रहो मेरे जीवन भर , वर्ना
आदमी खुद के भीतर तन्हा बहुत है

मैं ले जाऊॅंगा तुम्हें नीले आसमान में
मेरी मोहब्बत में हौसला बहुत है

इसलिए अभी तक मैं जिंदा हूॅं "राज"
मेरे प्यार के दर्द में सुकून बहुत है !!!!


इस दुनिया में अच्छे-बुरे बहुत हैं
जिसे जो मिला उतना बहुत हैं 

आदमी को हमने हंसते हुए नहीं देखें 
क्यों बेवजह इतने रोते बहुत हैं 

उसे मैंने समझाया था अपना कोई नहीं 
यूं ही दिल का लगाना बहुत है 

उसे ज्ञान देने की आदत थी 
आदमी जलता बहुत है !!!!

---राजकपूर राजपूत''राज''

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