चोट Poem on Injury Hindi

Poem on Injury Hindi 
बेशक 
यहॉं कई आदमी हॅंसते होंगे
अपने स्वार्थ की सिद्धि पर
इतराते होंगे
अपनी चालाकियों पर
जिसे अहसास नहीं है
कितना दुःख होता है
किसी की भावनाओं को
चोट लगने पर !!!

Poem on Injury Hindi


बेशक
उनके लिए में हांसिए में हूं
जिसने देश भक्ति, संस्कृति, परंपरा को
निरंतर काटने का प्रयास किया है
लेकिन मैंने बचाने का
उसकी खिल्ली नफरतों से उपजी है
जो तर्कों से
मेरा पिछड़ापन सिद्ध करने की कोशिश की है
मजाकिया अंदाज में
कभी-कभी लग सकता है
लेकिन सोचना
जो जड़ से कट चुके हैं
वो किसी का नहीं है
मतलब पे जीना सीख गया है !!!!

जो दुःख में है
वो तुम्हें स्वीकार सकता है
लेकिन जो सुख में है
वे कभी भी स्वीकार नहीं कर सकते हैं
अपनी प्रशंसा के लिए
कुछ पल बाद
अलग कर देंगे !!!!! 
खुशी होता है एक पेड़ को
जब साथ दें जड़, पत्ते, फ़ूल, तना
एक साथ लहलहाएं
जब बसंत आएं
पुराने पत्तों पर शोक न मनाएं !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 जिंदगी एक रोमांच है 

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ