सुख-दुख आधा Happiness and Sorrow Half Poem

Happiness and Sorrow Half Poem 
कभी कम कभी ज्यादा
दुख-सुख आधा-आधा
पीने वाले पीते हैं हर ग़म
कभी कम कभी ज्यादा !!

धरती घुमती है
गोल-गोल
बदलती हैं ॠतुएं
मगर तू मत डोल
चल, कदम-कदम
मंजिल की दूरी नाप
इससे ज्यादा मत बोल  !!!!

Happiness and Sorrow Half Poem


कल क्या होगा किसने जाना
पल का जीवन फिर मिट्टी में मिल जाना

दिया है अनमोल जीवन
व्यर्थ न बिता
उलझ मत उलझन में
आगे बढ़ और दिखा
जो न समझे प्रेम की भाषा
दूरी नाप और उसे न सीखा
अपना जीवन है अनमोल
जिससे वफ़ा निभा !!!!

धरती घुमकर
ॠतुएं लाएगी सर्दी, गर्मी
और बरसात आएगी 
इस तरह जीवन
सुख-दुख लाएगा
तुम्हें हंसना होगा
आगे बढ़ना होगा  !!!!

ॠतुऐ बदलेगी
कभी सर्दी कभी बारिश होगी
मगर तुम मत बदलना
जिंदगी आनी जानी होगी !!!!


इन्हें भी पढ़ें 👉 ग्रहणशीलता और आप 





Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ