अपने छूवन से - प्रेम का स्पर्श ही ऐसा है । जो निश्चितता का अहसास कराता है । जिसके स्पर्श किसी अबोध बालक के भय, असुरक्षा को समाप्त करता है । हर हाल में सुरक्षित भावना का जन्म करती हैं । प्रेम का अहसास ही है जो सुकून देता है ।
अपने छूवन से
तुम सर्दी की धूप
गुनगुनाती हुई
ठंडक पड़े बदन को
सहलाती हुई
धीरे से स्पर्श करती हो
मेरी जकड़न तोड़ जाती हो
और बदन को
गर्मी दे जाती हो
अपने छूवन से
सिहर उठता है
बदन मेरा
पुलकित हो जाता है
मन मेरा
और मैं तेरा
महसूस करता हूं
स्पर्श
जो बाहर-भीतर
महसूस हो रहा है
सरसराहट के साथ
पूरे बदन में
कंपकंपी गुनगुनाहट के साथ !!!
नींद
मेरी जब भी
नींद टूटती है
तुम आ जाते हो
मेरे ख्यालों में
प्रेम की
थपकी लिए हुए
और मुझे फिर से
ख्वाब दे जाते हो
मेरी नींदों को !!!!
-राजकपूर राजपूत
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