कपड़े-लत्ते तन ढकने का काम आते हैं । जिसे सब जानते हैं ।tattered clothes article यूॅं तो हर कपड़े तन ही ढकते आए हैं । आदिकाल से । लेकिन पहले के कपड़े ज्यादातर तन को गर्मी, सर्दी और बरसात से बचाने के लिए होते थे । न कपड़ों में रंग था । न कोई डिजाइन थी । शौक़ के लिए । केवल तन ढकना ही मायने था । चाहे जानवरों की खाल हो या पेड़ पत्तों की छाल हो । कपड़े के प्रति कोई खास नजरिया नहीं था । कपड़े जो भी हो उसके शरीर को सुरक्षा मिले । दूसरे का नजरिया भी खुद के बचाव के प्रति ही था । न कि दूसरों के नजरिए में सुंदर होने का और नहीं दिखाने के लिए । वो कभी दूसरों के लिए सोचते नहीं थे । जो आवश्यकता थी,,,उसकी पूर्ति थी ।
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समय बदले कपड़े बदले । खाल और छाल बदल गए । समय के साथ-साथ । कपड़ों के मायने बदल गए । कल तलक तन ढकने से मतलब था , वो सुंदरता को भी स्वीकार कर लिया । जो जरूरी थी । समय के साथ । सुन्दर कपड़े लोगों की समझदारी समझें जाने लगे । कपड़ों में सजावट की चीजों को जगह मिलने लगे । सुन्दर पहनावे से लोगों को आंकने लगे । बुद्धि और समझदारी को ।
सुन्दर कपड़े - बेहतर स्थिति
समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु और शिव इसका उदाहरण है । सुन्दर कपड़ों की वजह से भगवान विष्णु को लक्ष्मी मिले और भगवान शिव को जहर । उस समय देवताओं के अपने नजरिए थे । कपड़ों के प्रति ।
समय के साथ कई पोशाकों का चलन बढ़ा । आधुनिक युग के आते-आते इसका महत्व और भी बढ़ गया । फैशन और स्टाइल के रूप में कपड़े आ गए ।
जहॉं प्राचीन समय में लोगों के पास कपड़ों को अपनी रूचि के अनुसार चयन करने का विकल्प नहीं था । वहीं आधुनिक समय में इसके कई विकल्प मौजूद हैं । जहॉं शौक की पूर्ति की जाती है । केवल अच्छा लगना चाहिए । फटे कपड़े भी फैशन है । पहनने वाले को पसंद आए ।
कपड़े जहॉं सादगी देते हैं,, वही उत्तेजना भी । यह देखने और पहनने वालों पर निर्भर करता है । उसके भावनाएं क्या है ? जिंदगी और जिस्म उनके हैं । आज के जमाने में किसी को कहना ठीक नहीं है । लोग आजाद है तो उसे जीने का हक़ है । अपने ढंग से ।
हॉं आप अपने मानसिक विचारों में कैसे देखते हैं । ये आपकी दृष्टि पर निर्भर करता है । कुछ लोगों को फटी जिंस थकाते हैं । क्योंकि वो जानते हैं कि लोग उसके अपने (फटी जिंस पहने हुए)को घूर रहे हैं । उसके जिस्म को निहार रहे हैं । जिसे वो कह नहीं सकते हैं । क्योंकि कहने बोलने की जगह ही नहीं है । केवल निहार तो रहें हैं ।
लेकिन कपड़ों का अच्छा न लगना अपनापन भी है । जिसे परवाह है । अपनो की । हालांकि शौक रखने वाले इसे निम्न स्तर के सोच मानते हैं । क्योंकि उसे पसंद है । चाहे कोई भी टोकें, उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा । पहनना उसकी आधुनिक सोच है । जिसमें वे स्मार्ट है । जबकि उसे देखने वाले (बाहरी) मानसिक टच करते हैं । मजा के रूप में ।
इंसान की दृष्टि जिधर जाती है कुछ न कुछ लेकर आती है। आम- इमली को देखकर मुंह में पानी आ ही जाते हैं । इस भावनाओं को रोकना-टोकना हर किसी के बस की बात नहीं है । ये समर्थन नहीं है ,फटे कपड़ों के विरोध करने वालों का । लोगों की प्रकृति की लाचारी का वर्णन है । खुद को हर कोई काबु में कर ले,,, बहुत कठिन है । जिसमें बुद्धि कम है । वो प्रकृति के निर्धारित क्रियाओं से चलते हैं । कोई भी वस्तु देखते ही उसके गुण-दोषों का स्वाद चख ही लेते हैं । सूरा-कुकूर को खाते देख भी लोग मानसिक स्वाद प्राप्त करते हैं । हालांकि उसे पसंद नहीं है तो थूक देते हैं । ये घृणा का भाव है । जबकि अच्छी चीजों को घूटक लेते हैं । ये रसास्वादन का मजा है । जिसे चाव से ग्रहण करने की कोशिश करते हैं ।
शायद इसीलिए कुछ लोग अपनों को टोकते है,, ऐसे कपड़े लत्तों से । ताकि ऐसी कोई स्थिति निर्मित ही न हो ।
यदि आपकी भावनाएं किसी कपड़े लत्ते (पहना हुआ) को देखकर जागृत हो तो आप उस भावनाओं में निहार सकते हैं लेकिन कह नहीं सकते हैं । उसकी स्वतंत्रता का सम्मान आपको करना ही पड़ेगा ।अगर आपके निहारने की प्रवृत्ति सरेआम हो तो आप मुर्खो की श्रेणी के माने जाएंगे । ये आप पर निर्भर करता है ।
किसी लड़की की फटी जिंस को देखकर ऐसा लग सकता है आपको । क्योंकि उत्तेजित कपड़े उत्तेजित भावनाएं ही जागृत करती है । जिसे पहनने वाले जानबूझकर पहनते हैं । पहनने वालों की भावनाएं भी जागृत रहती है । उत्तेजित भावनाओं की वजह से उसको ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है । जिसे देखने वाले को भी ऐसा ही लगता है ।
कुछ इस तरह-
मुझे तो अच्छा लगता है तेरा छोटा कपड़ा पहनाना
मैं काफी स्वस्थ महसूस करता हूॅं देख तेरे रूप का गहना
तुम्हें भी पता है तुम्हें हर कोई देखता है
कोई प्यार से तो कोई घूरता है
मेरा तो यही कहना है
जो अच्छा लगे वहीं पहनना है
स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति तुम्हें ही करना है
मुझे भी ताजगी तुम्हें भी महसूस करना है
हॉं समझदार लोगों का कहना है कि किसी के कपड़े लत्ते में क्या रखा है । अपने नजरिए बदले । लेकिन उसे ये बता नहीं है कि जहॉं दृष्टि जाती है,, वही कुछ न कुछ सृष्टि का निर्माण होता है । ऐसी सृष्टि फटे कपड़ों से उत्पन्न हुई है । यदि फटी जिंस पहनी हुई लड़की को कोई न देखे तो उसे भी मजा नहीं आएगा । बाकी आपकी मर्जीी ।
धन्यवाद आपका
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