Poem did not Tell the Taste to Anyone
तेरी बातों की चाकलेट
कई बार स्वाद से खाया मैंने
भीतर-भीतर ही महसूस किया
किसी को नहीं बताया मैंने
बता भी देते तो समझते कहॉं लोग
इसलिए भीतर-भीतर छुपाया मैंने !!!!
उसकी कहानी में स्वाद नहीं था
क्योंकि अफवाह नहीं था
लोग सच पे ताली नहीं बजाते हैं
चीख, बलात्कार, हत्या शोषण अफवाह नहीं था
पुरा समाचार पढ़ डाला, पन्ने पलट डाले
थके से रखा उसने कोई अफवाह नहीं था !!!
Poem did not Tell the Taste to Anyone
सच से जिसे मतलब हो
वो आंदोलित नहीं होते
स्वीकार कर लेते हैं
तुम झूठे मुकदमे दर्ज किए हो
वर्ना कोई इतने रोमांचित नहीं होते
तुम सच को हराना चाहते हो
वर्ना इतने राजनीतिक लोग नहीं होते !!!!
अभी तो और स्वाद आएगा
जब न्यूज टीवी चैनलों पर आएगा
मिला देंगे मिर्च मसाला कुछ इस तरह
झूठ का भी स्वाद आएगा !!!!!
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