प्रेम करना भूल गए हो the whole world became a question poem

the whole world became a question poem 
प्रेम करना भूल गए हो 
भरोसा करना भूल गए हो

प्रश्न बनी सारी दुनिया
हल करना भूल गए हो

अब तर्को की पहेली है
सुलझाना भूल गए हो

पेड़ सभी सूख गए हैं
पानी देना भूल गए हो

मकान सभी सुना सुना है
दीया जलाना भूल गए हो

कमी नहीं किसी बात की 'राज'
सिर्फ तुम हॅंसना भूल गए हो !!!

the whole world became a question poem 


उसका प्रश्न
मेरे बने विश्वास को
तोड़ने के लिए तैयार था 
जिसे वो वैज्ञानिक सोच कहते रहे
और मैं मानता रहा
उनके विचार सही है
मेरा मानना ही
मेरा विश्वास तोड़ दिया !!!!

प्रश्न रखना
और इरादे रखना
पूर्व धारणाएं
बनाकर रखना
जहां चर्चा की सम्भावना कम कर देती है
लोग खुद को साबित करने के लिए
प्रश्न तैयार करते हैं
स्वीकारने के लिए नहीं !!!!

उसे प्रेम हो नहीं सकता है 
जो अकेला रह नहीं सकता है 
ख्यालों में संवारना पड़ता है
बिन प्रेम के वक्त दें नहीं सकता है 
समय जिसे काटना है सदा
स्थिर संबंध बना नहीं सकता है 
दीवारें बोल उठेगी अगर तुम सुन सको
जो रो नहीं सकता, प्रेम कर नहीं सकता है 



बादल आसमान को ढक देते हैं ज़रूर

मगर सदा के लिए नहीं
बीच बीच में बादल उड़ते हुए
टूकडों में टूट जाता है
जहां से आसमान दिख जाता है
भ्रम में वही पड़ते हैं
जो बादलों को आसमान समझ बैठते हैं
 जबकि बादल
कभी भी बिखर सकता है !!

जिससे जिसे प्रेम होता है
उसके लिए सदा सम्मान होता है
छुपा के रख लेता है हृदय में प्रेम
बाहरी दुनिया से केवल व्यवहार होता है

रोना मनाही था
उसके हिस्ट्री में
दिमाग की मिस्ट्री में
इसलिए आंसू नहीं आते
उसकी आंखों में !!!

कई तर्कों से उसने पाया
आंसू बहाना बेकार है
शायद ! उसने दिल से नहीं
दिमाग से सोचना शुरू कर दिया है !!!!

रिश्ते घटते बढ़ते हैं उसके 
उसने बड़ी चालाकी से
रिश्ते बनाते हैं 
बिगड़ते हैं !!!

दोस्ती प्रेम की ओर जाती है
प्रेम बढ़ गया तो
रिश्ते सुरक्षित हो जाते हैं 
और प्रेम घट गया तो समझो
दोस्ती का मरना शुरू हो गई है !!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''


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