न सुनने की आदत

न सुनने की आदत 


न सुनने की आदत  
न सुधरने की आदत  
सवाल उठाए हो तो जवाब भी ले लेना 
बातों ही बातों में घुमाने की आदत 
सब जानते हैं तेरी फितरत
तेरी मौकापरस्ती की आदत 
सवाल उठाकर बुद्धिजीवी बन गए
अपने गिरेबान में न झांकने की आदत 


(२) 

जब सब पढ़े लिखे हो जाते हैं



जहाँ सब पढ़े लिखे हो जाते हैं 
वहाँ अपने अपने तर्क हो जाते हैं 
हाँ ये तो अच्छी बातें हैं 
मगर तर्क कम बहस ज्यादा हो जाते हैं 
यदि किसी को हराना है  
तो अंदर से तोड़े जाते हैं  

सुधारों इन आदतों को जमाने की  
आदमी को बहलाने की
भटकाने की
तो सुधर जाएगा जमाना 
---राजकपूर राजपूत

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ