जिसे चाहूॅं मैं और मिल जाए

जिसे चाहूॅं मैं और मिल जाए
मेरा चेहरा भी तब खिल जाए

रहो पास मेरे हरदम तुम
भले ये दुनिया जल जाए

मिलो इस तरह बदन थरथराए
ऑंखों से बातें हो लब सिल जाए

हर पल तेरा अहसास है मुझे
हवाओं के झोंको से पत्ते हिल जाए
---राजकपूर राजपूत''राज''

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