तुम्हारा हाथ चूमकर

Tumhara hath ko chumkar 


तुम्हारा हाथ चूमकर
सारी दुनिया भुलकर
ऐसा लगा मानो मुझे
जीवन सफल हुआ तुम्हें छू कर
किंचित भी संताप नहीं
सूरज में गर्मी है मगर ताप नहीं
मिल गईं मुझे सारी दुनिया
तू प्यार है मेरा कोई दूरालाप नहीं
सदा तुझे मांगा है भगवान से
हृदय से शीश झुकाकर
तुम्हारा हाथ चूमकर

खत्म हुई तलाश मेरी

तेरी ऑंखों में सिर्फ प्यास मेरी
छोड़ न मुझे इस दुनिया में
तेरे बिना मेरी कोई आस नहीं
खुश हूॅं बहुत तुम्हें ढूॅंढकर
तुम्हारा हाथ चूमकर

---राजकपूर राजपूत''राज''

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