human nature fungus Shayari लोगों की देखा-देखी में लोग कुछ पल बदल तो जाते हैं । लेकिन वक्त आने पर रंग दिखा ही देते हैं । कौन झूठे हैं कौन सच्चे । इंसान की फितरत है । अपनी असली औकात को जरूरत और मतलब पर दिखाना । कुछ लोग बातें बड़ी-बड़ी करते हैं ।काम कुछ नहीं । वहीं कुछ लोग बातें नहीं करते हैं लेकिन काम करते हैं । पढ़िए इस पर शायरी 👇👇
human nature fungus Shayari
(१)
वहीं पर जाकर रूकते हैं
जहॉं कुछ मिल गया वहीं झुकते हैं
आदमी की फितरत अजीब है यारो
जहॉं मना है वहीं पर थूकते हैं !!
(२)
तेरी फितरत वक्त के साथ जाहिर हुआ
जिसमें तू माहिर हुआ
दगाबाजी हमने नहीं सीखी है
और तू दगाबाजी में शामिल हुआ !!
(३)
हमने मोहब्बत नहीं छोड़ी तुने नफ़रत नहीं छोड़ी
अपनी-अपनी फितरत है यारों !!
(४)
कमाल का समय आया
जो जिसको भाया वहीं गाया है
उसकी फितरत नफ़रत की
हमारी मोहब्बत की !!
(५)
बुलाने की जरूरत नहीं है किसी को
समझाने की जरूरत नहीं है किसी को
जिसकी जैसी फितरत है
वो आ जाएंगे खुद-ब-खुद आने को !!
(६)
उसकी फितरत ही तो थी
जिसकी आंखों में शर्म हया नहीं थी
फर्क क्या पड़ेगा उसको
जिसकी इज्ज़त नहीं थी !!
(७)
उसकी फितरत थी अजमाने की
जिसकी आदत नहीं थी इश्क निभाने की
उसने वादें बहुत लिए
जिसकी नीयत थी गिर जाने की !!
(८)
वो सफ़र में चला कहां था
और शिकायत उसकी बहुत हैं
कामजोरों की यही आदत बहुत हैं !!
इन्हें भी पढ़ें 👉 फितरत इंसान की
0 टिप्पणियाँ