जिंदगी का इशारा न मिला

जिंदगी का इशारा न मिला
ढूॅंढ़ा बहुत मगर सहारा न मिला

मेरी कश्ती है बीच मझधार में
जिसे माझी का सहारा न मिला

सिर्फ उसी से उम्मीद थी मुझे
जिसकी बाहों का सहारा न मिला

अब मेरी ऑंखों में चमक नहीं है
वो बिछड़े इस तरह दोबारा न मिला
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