तुने सच को स्थापित होने न दिया

तुने सच को स्थापित होने न दिया
दुषित तर्को से सियासत ही किया

जब चाहे तुने मोड़ दी सच की राहें
सुविधा के लिए सियासत ही किया

हर बात पे सवाल है जवाब है कहॉं
आंदोलित है मन सियासत ही किया

इतना तो जानता हूॅ॑ तेरा कोई रंग नहीं
गिरगिट की हार है सियासत ही किया
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