Ghazals in love and politics in Hindi
तुम्हें इश्क और सियासत में छूट मिली है क्या
इसलिए दिल तोड़ने के बाद मुस्कुराते हो क्या
ये कायदे कानून कहॉं से सीखें हो तुम ही कहो
सुविधा में खुद के लिए परिभाषा गढ़ते हो क्या
हर चीज की फजीहत हो रही है इस जमाने में
चंद पैसों के खातिर यूॅं ही रिश्तों को बेचते हो क्या
चेहरे की थकावट बताती है तुम्हें मिला कुछ नहीं
रिश्तों को फायदे के लिए यूॅं ही आजमाते हो क्या
अब भरोसा नहीं है इस जमाने में किसी पे राज़
मतलबी लोगों के आसपास तुम भी रहते हो क्या !!
इश्क को इतना हल्का कर दिया
कितना हल्का कर दिया इश्क को
सबकुछ चलता है
तू नहीं तो कोई और चलता है
इश्क एक बार होता है बार-बार नहीं
कहीं समझौता में भी प्यार पलता है
आज है कल टूट गए
क्या इतना समझदार कोई होता है !!!
---राजकपूर राजपूत
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