विश्वास

विश्वास दो तरह के होते हैं
एक समाज से लिया हुआ
पुर्वाग्रही की भांति
दूसरा अंतर्मन से झांका हुआ
जिससे आपकी दृष्टि
निर्धारित होती है
जिसे बदल पाना मुश्किल होते हैं
हर किसी को
जिसमें मात्रा होती है
नफ़रत और प्रेम की
अगर प्रेम को तोड़ना है 
तो नफ़रत से जोड़ना है
अगर नफ़रत तोड़ना है
तो प्रेम जोड़ना है
ये सब आपकी
चाहतों पर निर्भर करते हैं
यही कि आप क्या चाहते हैं
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