Dosti Yaari Teri Meri Poetry
दोस्ती बंधन नहीं
कुछ तुम भी समझो बातें मेरी
कुछ मुझे भी समझाओं बातें तेरी
कर लें बातें दिल की अपनी अपनी
न दिल मेंं बचे कोई शिकायत तेरी मेरी
Dosti Yaari Teri Meri Poetry
सिर्फ तुम बातें करो
मैं तुझसे प्रेम करने लगूंगा
बातें ही दिल का दरवाजा खोलती है
जो समझ लें आती हैं
अपनापन की
धीरे-धीरे
एक दूसरे के नजदीक
सुख-दुख के
जो परस्पर प्रेम का कारण है!!!
हां मैंने सुना था
तुम्हारी बातें
खुशी-खुशी
तुम्हारे बिन कहे
बिन मतलब के
तुम्हारी खुशी के लिए
मैं समझता हूॅं
मैं तुझसे प्यार करता हूं
बिन प्यार के
किसी के साथ
बैठा नहीं जाता है
इत्मीनान से !!!!
सहजता और सरलता
तुम्हारे इंतज़ार की तत्परता
मेरी तन्मयता
टूटती नहीं
तुम्हारी बातें सुनने में
मुझे लगता है
यही मेरा प्यार है !!!
जिस दिन तुमने जम्हाई ली
मैं समझ गया
तुम्हारे अपनापन
रूचि नहीं है
तेरे मेरे रिश्तों में !!!
ध्यान भटकाने के लिए
कहीं गई तुम्हारी बातें
मतलब निकालने
की जरूरत नहीं है अब
बताओं !
रिश्तों में गहराई थी कब !!!
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