Natak jari hai
नाटक जारी है
जिसने कभी इश्क न जाना
खुद के सिवा दूसरो को न माना
आज उसकी बातों पे बहुत समझदारी है
नाटक जारी है
बात कहने की नहीं है
सिर्फ समझने की है
जो कल तलक दुश्मन था आज यारी है
नाटक जारी है
बातें उसकी ज़रूर मीठी है
कुछ अपनापन कुछ तीखी है
लेन-देन में माहिर लेकिन नजरें जिनकी व्यापारी है
नाटक जारी है !!!
Natak jari hai
तुम रुठों तो मैं मनाऊॅ॑
तुम हॅंसों तो मैं गाऊॅं
तुम्हें खबर नहीं जिंदगी तू कितनी प्यारी है
नाटक जारी है
बीती बातें याद आई है
तेरी तस्वीर ऑंखों में छाई है
अब आ जाओ तुम पास मेरे जाने की तैयारी है
नाटक जारी है !!!
मार्डन बनो लेकिन चड्डी मत पहनो
आधुनिकता की आड़ में मत बहको
गिरो मगर कम से कम इतना मत गिरो
खुद के साथ - साथ दूसरो को गिराओ
तुझे लेना है फायदा चालाकी से
गैरों के हिस्से छोड़ो !!!!
नाटक जारी है
आकर बहलाने की
अपनापन से
सहलाने की
जिसे समझ बैठे अपना
जो मतलब निकल कर चला गया
अपना !!!
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---राजकपूर राजपूत''
2 टिप्पणियाँ
well
जवाब देंहटाएंThanks
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