मृत्यु एक अहसास Death - End of a Life Poem

Death - End of a Life Poem 

मृत्यु एक अहसास 

सहज मृत्यु
तकलीफ़ देह प्रतीत होती है
आकस्मिक मृत्यु से
जबकि आकस्मिक मृत्यु
भयावह होता है
क्योंकि आकस्मिक मृत्यु में
इंसान के पास
समय नहीं बचता
किसी को तकलीफ़
बताने के लिए
और नहीं
किसी के पास
समय बचता है
उसे महसूसने के लिए
जिससे जीवन
क्षणिक प्रतीत होती है
क्षणभंगुर के समान !!!!

Death - End of a Life Poem


लेकिन सहज मृत्यु 
तकलीफ़ देह प्रतीत होती है
सहानुभूति होती है
मरने वाले के प्रति
क्योंकि उसके कष्टों की
अनुभूति होती है
जो उसे दिखाई देती है
ऊतकों का टूटना
बंधनों का छूटना
और एक आह
जो हृदय को भेद जाती है
जिससे इंसान डर जाता है
खुद के मृत्यु का
अहसास कर जाता है

इन्द्रियों का
उस चेतन तत्व से
जो ऊर्जा रूप में समाया है
जिसे कोई पकड़ नहीं पाया है
जिसकी उपस्थित से
जीव अपनी प्रतिक्रिया देते हैं
और स्वाभाव का निर्धारण होता है
इन्द्रियों के अनुसार
और भावनाओं की उत्पत्ति होती है
इन्द्रियों के स्वादानुसार
हर जीव के चेहरे पे
जो पहचान बनती है
अस्तित्व के रूप में
जो चेहरे पे आकृति बनती है
नफ़रत और प्रेम के रूप में
जिससे पहचाना जाता है
इंसान,,, इस दुनिया में

जब इन्द्रियों का टूटना
प्रारंभ हो जाता है
इंसान बेबस हो जाता है
अकड़ कम हो जाती है
और ऊर्जा
शरीर से निकल जाती है
बच जाते हैं
केवल मिट्टी का पुतला
इसलिए डर जाते हैं
स्वाभाविक मृत्यु से
इंसान !!!

उस वक्त इंसान को
अहसास होता है
जीवन कितना खास होता है
जिसे जीना चाहिए
प्रेम से
जिंदगी भर !!!!

इस खाली जगह में
सुख और दुःख
अदृश्य की भांति है
जो दिखाई तो नहीं देता है
जब दिखाई देता है
तो भारी पड़ जाता है
दुःख, सुख पर
लोग प्रदर्शित कर जाते हैं सुख
मगर दुःख कहा नहीं जाता है । 

स्थगन प्रस्ताव पारित है
प्रेम का
अब कोई या तो
नफ़रत रख सकते हैं
या फिर ईर्ष्या
लेकिन प्रेम नहीं
लोग समझते हैं
प्रेम को
मगर मानते नहीं है
फायदा 

परिभाषाएं गढ़ी जा रही है
तर्क बुने जा रहे हैं
भावनाओं और दिल को
तोड़ने के लिए
रिश्ते गढ़े जा रहे हैं
प्यार अब फालतू लगते हैं
चाहे देश का हो
चाहे संस्कृति का हो 
चाहे देश की मिट्टी का हो
तुम तारीफ नहीं कर सकते 
खुलकर अब
तुम ध्यान देना
आ जाएंगे
नफ़रतों का तर्क लेकर
उदास चेहरा लेकर
थकावट झलकाने
सबको बताने
अपना तर्क
जिसे रिश्तों का लगाव है 
हार्मोन का बहाव है 
तर्क में वैज्ञानिकता
शिक्षित होने का दावा
सभ्यता का नया मापदंड
जहां तुम्हारे प्यार के लिए
जगह नहीं है 

कुछ दिन और रुको
तुम्हें लगेगा
किसी के मृत्यु में
रोना घोर पाखंड है !!!!

---राजकपूर राजपूत''राज''








 



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