सुंदरता और अहसास - लेख

सुन्दरता,,, आँखों की नजरिए पर निर्भर करता है ।Beauty and the Feeling Articles आपकी आँखें देखते ही दिल को तसल्ली दे । सुकून का एहसास दे । ऐसा प्रभाव पड़े दिमाग की बातों का कोई असर ही न पड़े  । जब तक दिल में खटके नहीं । बुराई न जाने । दिल न माने । तब तक । बरबस ही खुबसूरती खींचे,, मन को । 

Beauty and the Feeling Articles 

 सुन्दरता खुद के ही पसंद नापसन्द पर निर्भर करते हैं । जिसे पसंद है वो कहॉं किसी के सुनते हैं । मानते हैं अपनी ही बातें । अपनी पसंद को थोपते हैं । दूसरो पर । जिसकी प्रमाणिकता कई तर्को से करते हैं । क्योंकि वो जानते हैं । अपनी जरूरत को । उसके मजे को । जिसके लिए वो लालायित है । किसी के समझाने से नहीं समझ सकते हैं । उसकी चाहत तो दिल से है । जिसे वो गले से लगाए हैं ।कुछ वक्त आपकी बातों को मानेेंगे लेकिन चोरी छिपे अपनी चाहत की प्राप्ति करेेंगे । जैसे एक शराबी । जो यह जानते हुए भी कि शराब,, खराब है । फिर भी अपनाते हैं । क्योंकि वो जानते हैं शराब की सुन्दरता । जिसे पीते ही महसूस होते हैं । सुुंघने से नहीं होते  हैं । ठीक उसी तरह कुछ सुंदरता भीतरी होती है । जिसे पीने के बाद ही महसूस करते हैं । बाह्य दर्शन से नहीं महसूस किया जा सकता है ।

सुन्दरता और अहसास 

कुछ सुन्दरता पूर्वाग्रही होते हैं जो समाज के द्वारा निर्मित होती है जिसके प्रति दिल में नफरत होती है । जिसे समाज अक्सर खिल्ली उडाते हैं । जैसे काली गोरी । अमीर गरीब । जिसे सुन सुन कर हमारे भीतर धारणाएं बन जाती है । जिसे हम एक नज़र में अस्वीकार/स्वीकार कर देते हैं । साधारणतः लोग इसी नजरिए को सही मानते हैं । शायद उसके नजरिए का निर्माण समाज ही करते हैं । खुद की सोच नहीं होती है । कमजोर नजरिए वालो का होता है ।
आधुनिक युग में सुन्दरता का एक नई परिभाषा चलन में है । कृत्रिमता का चलन । बनावटी जीवन । अच्छे कपड़े लत्ते और मेकअप । आधुनिक काल में अच्छा माना जाता है ।  क्योंकि जब तक चेहरे पर मेंकअप है । आधुनिक प्रसाधन है लोग सबको छल सकते हैं । क्योंकि जो दिखते हैं वही खिचते हैं अपनी ओर । जिसे समाज मान्यता देती है सभी लोग उसे अपनाते हैं ।
ऐसे छल को पास जाकर ही समझा जा सकता है । जब उसके वास्तविक स्वरुप को दिल और दिमाग तोड़ दे  । मेकअप के उतरते ही वास्तविक सुन्दरता का दर्शन होते हैं । 

जबकि सच्ची सुन्दरता तो सादगी है । जिसे देखकर मन अपनापन का अहसास कर जाता है । और नहीं कही खिंचाव का अहसास होता है । दिल में सुकून का अहसास होता है । एक आदर का भाव होता है ।  स्वीकारोक्ति होती है । दिल से ,, ससम्मान । 
---राजकपूर राजपूत 
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