अब मागय घलो नहीं

अब छेरछेरा मागय नहीं
पहली जैइसे देवय नहीं
छेरछेरा हय नदायगे
अब मजा आवय नहीं
मागेबर जाथे लइका मन
फरिका ल खोलय नहीं
सच कहथव सब झन ल
पसर भर धान देवय नहीं
उघात हे सब मनखे मन
दान-धरम मय खुशी आवय नहीं
---राजकपूर राजपूत''राज''




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