तेरे बिना कमी तो नहीं है

tere-bina-kami-to-nhi- एक अकेला आदमी अपने आप में पूर्ण होता है । जब वो जीने के तरीके जान जाता है । वो जान जाता है , अपना प्रेम ।  वे कभी उन लोगों ने शामिल नहीं होते हैं । जिसमें उसे अधूरा लगता है । चाहे कुछ भी हो किसी का जीवन । अपने अहसासों को साथ लेकर जीता है । भीड़ में भी अकेला महसूस करता है और ठहरता है तो अपने नजरिए से । जहां उसे कोई हिला नहीं सकता है ‌। पढ़िए इस पर कविता 👇👇

tere-bina-kami-to-nhi-


अकेले हैं तो क्या
कोई कमी तो नहीं है

खुद के अंदर जीना भी
कोई हॅंसी तो नहीं है

तेरी चाहत आसमां है
मेरी ज़मीं तो नहीं है

टिमटिमाते हुए तारे हो
जिसमें रौशनी तो नहीं है

जानता हूॅ॑ अपनी चाहत
तेरे बिना कमी तो नहीं है

वक्त ऐसा करवट लेगा
ये किसी का गुलाम तो नहीं है

और क्या नाम दूं जिंदगी तेरी
मेरी किस्मत में तू तो नहीं है

खुशबू बिखर जाएगी इसके बाद
फूलों की कीमत तो नहीं है 

मतलब ही निकल गए तो
रिश्तों में मज़ा तो नहीं है !!

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तेरे बिना कमी तो नहीं है
तू नहीं तो तेरी यादें तो है

मैं तन्हा नहीं होता हूं कभी
तू नहीं तो तेरी छवि तो है

मेरा वक्त गुजर जाता है
ख्यालों में गुफ्तगू की तो है

एक दिन तू पास आएगा मेरा
दिल को यकीं तो है !!! 

---राजकपूर राजपूत''राज''

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