खुशियां तो मेरी चाहत में थी

खुशियां तो मेरी चाहत में थी
इसलिए मैं उसकी धुन में थी

ख्यालों में जो मेरे विचार था
हर पल मेरे दिल में अरमान था

सजाया जिसे जागी ऑ॑खों से
अपने ख्यालों से और ख्वाबों से

जहाॅ॑ भी गया उसकी यादें थी
उसके चेहरे पे ही ऐसी बात थी

भूला नहीं जाता छोड़ा नहीं जाता है 
हृदय को मेरे सदा जो भाता है

तुम आ जाओ मेरे जीवन में
मेरा अनुराग है तेरे अपनापन में

---राजकपूर राजपूत''राज''


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