ख्यालों में ही जीते हैं

ख्यालों में ही जीते हैं
जो तेरी यादों में बीते हैं

तेरी धुन में चला गया
तेरी यादों को सिते है

एक हूक सी उठती है
तड़प तड़प के जीते हैं

मुझे परवाह नहीं जमाने की
दर्द मिले लाख मगर पीते हैं
---राजकपूर राजपूत''राज''



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