हार के बाद जीत तो है - आज के लोग खुद को बुद्धिजीवी मानते हैं ।there is victory after defeat इतने मानते हैं कि सबको समझाने लगते हैं और इतने समझाते हैं कि खुद ही समझ नहीं पाते हैं । क्या सही है, क्या बुरा है । बस जहां कोई कोशिश करते हुए नज़र आए हैं । वहां ज्ञान देना शुरू कर देते हैं । ज्ञान ऐसे खुद को अपने जैसा बनाने के लिए । सामने वाले की सोच को बदलने का प्रयास करते हैं । ऐसे बुद्धिजीवी कभी अपने गिरेबान में नहीं झांकते हैं ।
हार के बाद जीत तो है -
there is victory after defeat
जिंदगी तुझमें कशिश तो है
कभी धूप है कभी छांव तो है
धूप में जलाता रहा बदन अपना
जिंदगी मुझे तेरी तलाश तो है
उसी से मोहब्बत उसी से शिकायत
मेरे सीने में इश्क जिंदा तो है
मेरी कोशिश रंग लाएगी एक दिन
हर कोशिश हार के बाद जीत तो है
तुम मुझ पर तंज कसते हो बहुत
मेरी कोशिश पे तुम्हारा ध्यान तो है
मैंने रिश्तों को संभाला है बहुत
तुम्हारा रिश्ता समझौते पर टिका तो है
सबको अपने जैसा ही रंग न का नहीं
ऐसे ज्ञान अहंकार तो है
माना तुम्हारी सोच अच्छी होगी
तुम्हारी सोच अच्छा मेरा अहसास तो है
---राजकपूर राजपूत''
2 टिप्पणियाँ
Nice
जवाब देंहटाएंThanks
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