सच कह सकते हो
तुम चाहो तो ईमानदारी
दिखा सकते हो
और लोगों के लिए
उदाहरण बन सकते हो
लेकिन नहीं,,,,
तुम ऐसा नहीं कर सकते हो
लोग अब ईमानदारी को
दकियानूसी सोच मानते हैं
जिसे जानते हो
क्योंकि दुनिया को
तुम भी मानते हो
दिल की गवाही को
कमजोरी मानते हो
इसलिए दिल की बातों को
अनसुनी कर देते हो
और दिमाग से काम लेते हो
चालाकियों में ही
समझदारी मानते हो
इसलिए दिल की नहीं
दिमाग की बातें मानते हो
शायद इसीलिए
अब दिल पे
हाथ नहीं रखते कोई
---राजकपूर राजपूत''राज''
0 टिप्पणियाँ