जिंदगी की किताब Life Book Poem

Life Book Poem 
जिंदगी की किताब कुछ भी हो
उसे पढ़ना और लिखना है मुझे 
यदि ख्वाब है तो बेशक सजाऊंगा
लेकिन जागी ऑ॑खों से निहारना है तुझे !!!


जिंदगी की किताब 
बस छोटा सा हिसाब 
जीना तो गरीब सा 
लेकिन मृत्यु नवाब !!!

Life Book Poem

उसने लिखा 
किसी समुदाय को 
किसी जाति को 
विशेष 
और जब विशेष लिख दिया 
मानवता फेंक दिया 
उसकी बुराई देख न पाया 
गाया दिन भर 
ऐसे 
जैसे चारण गाता है 
अंधभक्ति में 
अपने मतलब में 
चाटुकार बनकर 
कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी 
सेक्युलर गिरोह !!!!

प्रेम मेरा उधार रहा 
अब वापस नहीं कर रहा है 
ब्याज की दूर की बातें 
मूलधन बाकी रहा 
जिसकी नीयत में खोट हो 
वे देते नहीं कभी 
प्यार और उधार !!!!!

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