मिलेंगे खुद के अंदर जान लें
हो नहीं सकते कभी संतुष्टि
लाख कर लें दुनिया पुष्टि
जिंदगी आपकी है आप जान लें
दुनिया से पहले खुद मान लें
जो दर्द-तड़प है आपके अंदर
ढूंढती है जिसे आपकी नजर
आपकी दृष्टि ही आपकी सृष्टि है
जिस पर ही आपको संतुष्टि है
---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर रचना
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