कुछ विचारक

ना जीने का रंग है उनके
ना चलने का ढंग है उनके

चरित्रहीनता में सिरमौर है
विद्वता की बातों में ग़ौर है 

बरगलाने में वो माहिर हैं
चालाकियों पे शातिर है

बच के रहना दुनिया वाले
तोड़ के रख देंगे झूठे दिलवाले
---राजकपूर राजपूत''राज''


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