एक निश्चित दूरी है
जीवन का
जिसे तय करना होता है
एक निश्चित पड़ाव है
उम्र की
जिसमें उतरना, चढ़ना पड़ता है
उसके बाद ही मरना पड़ता है
इस शरीर को
शाश्वत सत्ता में
जीव की पहचान
रंग रूप गुण धर्म
सब कुछ समाहित हो जाते हैं
उस अनंत की आगोश में
जहां अनंत विश्राम है
जिसके भीतर !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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