Dharti aur hariyali Kavita धरती की शोभा तभी है जब चारों ओर हरियाली हो । बारिश की पहली बूंदों धरती की प्यास के साथ-साथ उसकी रंगत भी बढ़ाती है । जिसकी छवि सबको भाती है । सिर्फ महसूसने की जरूरत है ।
Dharti aur hariyali Kavita
ये धरती की हरियाली
ये धरती की हरियाली बताती है
अपने रंगीले लिबास में लजाती है
शायद उसकी बरसों की प्यास बुझे है
काले काले बादल खूब बरसे है
इसकी प्यास बुझी है अब जन्मों की
इसलिए नव श्रृंगार से अब सजी है
पल्लवित हुई है नई नवेली पत्ती
ऊंचे आसमानों को सदा ताकती है
किसानों के चेहरे खिल उठे हैं
मन में उल्लास भरा अंतस हर्षाती है !!
धरती खुश हैं
बारिश की बूंदों से
अब हरियाली की रंगत चढ़ेगी
उसके बदन पे
नवजीवन नव विकास होगा
खिलेंगे चेहरे जो हताश होगा ! !
ये धरती की हरियाली
बादलों की देन है
इसलिए
जमीं पे उगे पेड़ पौधे
एकटक
बादलों को निहारते हैं !!!
धरती अपनी हरियाली से
खुश है
अब सूरज की तपन
उसे छू नहीं सकते
इसलिए धन्यवाद बादल
अब कोई कुछ कर नहीं सकते !!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 इतने रफ्तार से कहां तुम जाओगे
0 टिप्पणियाँ