poem on speed in hindi
इतने रफ्तार से कहाॅ॑ तुम जाओगे
धरती से क्या आसमान में जाओगे
ये सड़क उतनी अच्छी नहीं है यारों
गिर गए तो दो चार दाॅ॑त से जाओगे
कोई ज़रूरी काम है या फिर फ़ालतू
जानता हूॅ॑ गटरगस्ती में फिर जाओगे
बाप के पैसे बेटे को कहाॅ॑ खलते हैं "राज"
खुद की मेहनत से औकात में आ जाओगे !!!
poem on speed in hindi
इतनी जल्दी कहां जाओगे
जहां जाना है वहां भूल जाओगे
थोड़ा ठहरो, सांसें भरो
क्या जीना भी भूल जाओगे
माना दौड़ की जिंदगी है अब
क्या दिल्ली से आगरा भूल जाओगे
जल्दी - जल्दी में प्यार नहीं होता है
और प्यार होगा तो दौड़ना भूल जाओगे
कई रिश्ते टूट गए हैं इस दौड़ में
क्या खुद को भी भूल जाओगे
हां, जीने के लिए दौड़ जरूरी है
क्या अपनी छाया भी भूल जाओगे !!!
पुराने घरों को
मैं जब देखता हूं
अपने गांव के
शहर से जाने के बाद
गांव की पगडंडी को नापता हूं
जो गांव को
सड़क से जोड़ देती है
और सड़क शहर से
जहां से सड़कें वापस नहीं आती है
फिर कभी गांव में !!!!
पानी का सांप
पानी की जगह रहेगा
क्योंकि वो जानता है
पानी के पास मेंढक रहेगा !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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