आदमी जितना भी ढूंढ लें

आदमी जितना भी ढूंढ लें
मिलेंगे खुद के अंदर जान लें

हो नहीं सकते कभी संतुष्टि
लाख कर लें दुनिया पुष्टि

जिंदगी आपकी है आप जान लें
दुनिया से पहले खुद मान लें

जो दर्द-तड़प है आपके अंदर
ढूंढती है जिसे आपकी नजर

आपकी दृष्टि ही आपकी सृष्टि है
जिस पर ही आपको संतुष्टि है
---राजकपूर राजपूत''राज''


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