अपनी तलाश में परेशान सा क्यूॅ॑ है

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ये दिल अब खाली खाली सा क्यूॅ॑ है
अपनी तलाश में परेशान सा क्यूॅ॑ है

तेरे शहर में लोग हॅ॑स के बातें करते हैं
मगर दिल के कोने में वीरान सा क्यूॅ॑ है

तुझसे गिला शिकवा ना नाराज हूॅ॑ जिंदगी
मेरी बाहों में आओ हैरान सा क्यूॅ॑ है

कुछ खट्टी कुछ मीठी होती है दोस्ती 'राज़'
रिश्तों को समझने में नादान सा क्यूॅ॑ है

तेरे शहर आए हुए बहुत दिन हो गए
लेकिन हर शख्स अनजान सा क्यूं है 

मेरे दिल को समझें इतना आसान नहीं है
मैं जितने करीब आया वो परेशान सा क्यूं है 

---राजकपूर राजपूत
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