कहो दिल से जय श्री कृष्णा
मिट जाए अंतर्मन की तृष्णा
रहती सदा आंखों में करूणा
प्रेम से बोलो राधे राधे जय श्री कृष्णा
हे !दयानिधि ,हे !जग पालनकर्ता
तुम हो सृष्टि संहार कर्ता तुम निर्माण कर्ता
तेरे भरोसे जग है, तुझमें मेरी निष्ठा
प्रेम से बोलो राधे-राधे,जय श्री कृष्णा
तुम अंतर्यामी तुम प्रेम के सागर हो
तुझपे मेरी आस है तुम मेरे रखवाले हो
नहीं कहीं कुछ मेरे पास तुझे देने को दाता
रहूं सदा तेरे चरणों में और कुछ नहीं मुझे आता
न भटकूं में इस जग में बचा लेना मेरा मान प्रतिष्ठा
प्रेम से बोलो राधे राधे जय श्री कृष्णा
---राजकपूर राजपूत''राज''
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