कान्हा के प्रेम में राधा बंधी

कान्हा के प्रेम में राधा बंधी
छूट गई है सखियाॅ॑ सभी

मुरली की धुन है ऐसी बजीं
सुध बुध खो गई गोपियां सभी

मोर मुकुट सिर पर सजे
जिनके हृदय में सदा राधा बंसी

कारागृह में जन्म लिए है
झूम उठे हैं भारत वासी

देर करों ना मेरे नंदलाल
दर्शन की मेरी अखियाॅ॑ प्यासी
---राजकपूर राजपूत''राज''

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