नैतिक जिम्मेदारी

ग्रहणशीलता का क्षेत्र बदल गया है । लोग व्यापारी नजर रखते हैं । आप किसी के सामने आदर्श प्रस्तुत कर लें । जब तक सुविधा,,, सहुलियत ना हो । उसे नहीं अपनाएंगे । सब कुछ समझेंगे लेकिन उसको बौद्धिक नजर से अवहेलना कर देंगे । हालांकि अंतरात्मा इस बात की गवाही ना दें । फिर भी खुद को मारकर उसी पर टिकने का प्रयास करेंगे,,,जिस पर उसका लाभ हो । 
अपने इस विचार को पुष्ट करने के लिए वो कई तर्क अपना सकते हैं ताकि उसकी छवि लोगों के बीच मेंं घूमिल या कमजोर ना हो और दुनिया भी सबकुछ जानते हुए,,, उसे स्वीकार करने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे । क्योंकि सभी की नज़रों में लाभ या व्यक्तिगत स्वार्थ की चाहत दबी हुई है । ना जाने कब उसकी जरूरत आ पड़े
 । 
बेशक,, समाज आज भी अच्छे आचरण को आदर्श माने या कहें, लेकिन  वर्तमान स्थिति में कोई आश्चर्य नहीं है कि उसे अपने दिल में दबा के रखना पड़ेगा । क्योंकि व्यक्तिगत जीवन में समाजिक दबाव का महत्व कम हो गया है । लोग अपने अपने ढंग से जीने का अधिकार रखते हैं । जिस पर व्यक्ति बंटे हुए नजर आते हैं । एक आदमी विरोध करेगा तो दूसरा बचाने का प्रयास करेगा । समर्थन के लिए कई कानुनी प्रकिया है । जिसमें व्यक्तिगत जीवन की जीत निश्चित है,,, क्योंकि पैसा की कीमत समाजिक जिम्मेदारी से बड़ा है । व्यक्तिगत जीवन,, समाजिक जीवन को आज के समय में परास्त कर देते हैं । व्यक्तिगत अधिकार,, कर्त्तव्य से बड़ा है । कर्त्तव्य के प्रति लोग कभी भी इकट्ठे होते हुए नहीं देखा गया है । 
 
। क्योंकि लोग अब अच्छे जीवन की चर्चा नहीं करते हैं। केवल पैसा और शोहरत की चाहत की चर्चा करते हैं । भले ही वह बुराई के मार्ग से प्राप्त किया हो । कोई फर्क नहीं पड़ता है । नैतिक जिम्मेदारी,,स्वयं का विकास हैं,, जो दूसरों की भावनाओं आघात करके प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं । समाज का बिखराव होने का यही कारण है । 
---राजकपूर राजपूत''राज'' 
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ