नव जीवन का आरंभ

nav-jivan-ka-nirman- बीजों का उत्पत्ति और उसका सफ़र जीवन का निर्माण और अंत है । जो अत्यंत सुखद है । जीवन का निर्माण हो जाने के बाद किसी भी चुनौती को स्वीकार करना चाहिए । न कि घबराना । जो चुनौतियों को स्वीकार करता है वे खुद चुनौती बन जाता है । 

nav-jivan-ka-nirman

अंकुरित होकर
बीज का पल्लवित होना
इठलाते हुए पौधे का
आकाश को ताकना
बेशक तुम बड़े हो
लेकिन हमको कम ना आंकना
धीरे-धीरे ही सही
पौधे का 
और बड़ा हो जाना
जैसे जीवन का विस्तार पाना
फिर पुष्पित हो कर
फलों से लद जाना
धरती की ओर
झुक जाना
उस समय
सम्पूर्णता का अहसास होगा
उसके पास भी कुछ खास होगा
जब कोयल बागों से
उड़कर आएंगे
दो चार गीत सुनाएंगे
बदले मेंं दे देना कुछ
दो चार फल लेने को मत पूछ
हां, वो बीजों को फैलाएंगे
जो धरती से मिल जाएंगे
उचित अवसर पर
पुनः नव जीवन की आरंभ होगा
निरंतर इसी क्रम में 
सृष्टि का निर्माण होगा
जिसका आदि ना अंत होगा !!!

बाग में आए
कोयल कूके
दर्द भरे गीत गाए
प्रेयसी का नाम पुकारे
अब प्रेम का निर्माण होगा
जिसके हृदय में पुकार होगा !!
इन्हें भी पढ़ें 👉 जीवन यूं ही बिताएंगे 

---राजकपूर राजपूत''







Reactions

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ