jivan-yun-hi-bitaoge-kya - जो केवल सोचते हैं ।वह कभी क्रियात्मक नहीं हो सकते हैं । सोच के साथ - साथ क्रिया भी होना चाहिए । जो केवल सोचते हैं । वह मन का लड्डू खाते हैं । जिसमें वह खुश रहता है । ख्याल बनाना और ख्वाब सजाना । बस यही काम है । जिसे कुछ भी करने से पहले नकारात्मक सोच हावी हो जाती है । वह कभी जिंदगी में सफल नहीं हो पाते हैं । कविता हिन्दी में 👇👇
jivan-yun-hi-bitaoge-kya
जीवन यूं ही बिताओगे क्या
सोचते ही रहोगे क्या
आज करेंगे क्या
या कल करेंगे क्या
सुबह हो गई बिस्तर नहीं छोड़े
सिर्फ ख्वाब देखोगे क्या
चलना है तो चलो जल्दी
कुछ बहाने बनाओगे क्या
तुम चलो या ना चलो वक्त चलेगा
जीवन यूॅं ही बीताओंगे क्या
सोचो तब कुछ प्रतिफल मिले
सिर्फ मन का लड्डू खाओगे क्या
सूरज तपता है दिन भर
जिंदगी में तुम भी ऐसे तपोगे क्या
चांद सूरज नहीं बन सकता है मगर
चांद जैसी शीतलता दोगे क्या
करने वाले के नाम याद रखा जाएगा
खाली पीली मर जाओगे क्या !!
कविता जीवन
मन में संशय न रख कभी
जाग और उठ अभी
कल हो ना हो मगर
भरपूर जीना है अभी
सोचने वाले सोचते हैं
तुम्हें जागना है तो जाग अभी
कौन कहता है मुश्किल है
इंसान हो तो काम कर अभी
जीना उसका मुश्किल है
बहाना बनाकर सोएं है अभी
मुसीबत तुम्हारे मन की
छोड़ना है तो छोड़ अभी !!
वो हंस नहीं सकते हैं
न ही हंसा सकते हैं
क्योंकि उसके पास तर्क है
इसलिए हर बातों का फर्क है
जिसमें उसका दर्शन खड़ा है
मानों एक टांग पर खड़ा है
मानों उसकी बात
या सहन करों आघात
उसने हर शब्द के
नकारात्मक पहलू रखना सीख गया है
देखना सीख गया है
मैं पूछता हूं तुमसे
ऐसे लोगों से बचना सीख गया है !!!
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-राजकपूर राजपूत
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