Poem to See the Havoc of Nature
कुदरत का कहर देखना
करोना काल का असर
गांव और शहर देखना
हालात सबके एक जैसे
धन-दौलत बेकार देखना
कठिन दौर है जिंदगी की
दूरियाॅ॑ बनाके संसार देखना
अब कभी मुलाकात नहीं होती
इश्क़ में बंद का असर देखना
ये कौन सा दिन है दोस्तों
भूल गए हैं इतवार देखना
दुःख है राज़ उसकी आदतों से
यूॅ॑ हाथों मेंं उसके पत्थर देखना
यकीन रखना ये वक्त गुजर जायेगा
बस इसी उम्मीद में संसार देखना !!!!
Poem to See the Havoc of Nature
कुदरत का कहर देखना
आजकल का शहर देखना
कांक्रीट का महल है
बिन तुलसी के घर देखना
इतने साधारण नहीं है हर शख्स
सियासत में माहिर उसकी नज़र देखना
स्व परिभाषित है उनके तरीके
मतलब, चालाकी, का डर देखना
अभी जीना है या मरना है
पन्ने पलटकर अखबार देखना
लूट-पाट करके जीने वाले
सम्मान बहुत निर्लज्जों का असर देखना !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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2 टिप्पणियाँ
Vheri nice
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
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